Wednesday, October 26, 2011

Saturday, January 1, 2011

कुर्बान होती जिंदगी ...

कभी किसी वादे पर तो कभी किसी इरादे पर ...
सिलसिला आज भी जारी है ...
 
नव वर्ष की शुभकामनाएं!

Friday, October 8, 2010

तितलियाँ और बच्चे

आज स्कूल जाते दो बच्चों को तितलियाँ पकड़ते देखा. याद आया कभी हम भी ऐसे ही तलाशते थे दिन में तितलियाँ तो शाम ढले जुगनूं.

Friday, September 10, 2010

जिस ईद में कि यार से मिलना न हो 'नज़ीर'

इस दर्द को वह समझे जो हो इश्क़ का असीर
जिस ईद में कि यार से मिलना न हो 'नज़ीर'

आज आगरे की ईद याद आ गयी और साथ ही याद आयी ईद लखनऊ की और ईद हैदराबाद के चारमिनार की. हमारे आगरे के नज़ीर अकबराबादी जो ग़ालिब के गुरु भी थे कहते हैं -

शाद था जब दिल वह था और ही ज़माना ईद का
अब तो यक्सां है हमें आना न जाना ईद का
दिल का खून होता है जब आता है अपना हमको याद
आधी-आधी रात तक मेहंदी लगाना ईद का
आंसू आते हैं भरे जब ध्यान में गुज़रे है आह
पिछले पहर से वह उठ-उठ कर नहाना ईद का
... ...
दिल के हो जाते हैं टुकड़े जिस घड़ी आता है याद
ईदगाह तक दिलबरों के साथ जाना ईद का

ईद मुबारक़!

Saturday, May 8, 2010

यादें अभी भी लौटतीं हैं

कुछ यादें अभी भी लौटतीं है - कब बिसरी कैसे बिसरी वो तो याद नहीं पर हाँ संजोय हैं अपने में अभी भी वही टीस और वही कसक.