Friday, October 8, 2010

तितलियाँ और बच्चे

आज स्कूल जाते दो बच्चों को तितलियाँ पकड़ते देखा. याद आया कभी हम भी ऐसे ही तलाशते थे दिन में तितलियाँ तो शाम ढले जुगनूं.

Friday, September 10, 2010

जिस ईद में कि यार से मिलना न हो 'नज़ीर'

इस दर्द को वह समझे जो हो इश्क़ का असीर
जिस ईद में कि यार से मिलना न हो 'नज़ीर'

आज आगरे की ईद याद आ गयी और साथ ही याद आयी ईद लखनऊ की और ईद हैदराबाद के चारमिनार की. हमारे आगरे के नज़ीर अकबराबादी जो ग़ालिब के गुरु भी थे कहते हैं -

शाद था जब दिल वह था और ही ज़माना ईद का
अब तो यक्सां है हमें आना न जाना ईद का
दिल का खून होता है जब आता है अपना हमको याद
आधी-आधी रात तक मेहंदी लगाना ईद का
आंसू आते हैं भरे जब ध्यान में गुज़रे है आह
पिछले पहर से वह उठ-उठ कर नहाना ईद का
... ...
दिल के हो जाते हैं टुकड़े जिस घड़ी आता है याद
ईदगाह तक दिलबरों के साथ जाना ईद का

ईद मुबारक़!

Saturday, May 8, 2010

यादें अभी भी लौटतीं हैं

कुछ यादें अभी भी लौटतीं है - कब बिसरी कैसे बिसरी वो तो याद नहीं पर हाँ संजोय हैं अपने में अभी भी वही टीस और वही कसक.

Friday, April 2, 2010

यात्राएँ और संकेत वापसी के

जब चले तो सोचा था कि उस जहाँ में भी कुछ देखेंगे, कुछ समझेंगे लेकिन यहाँ तो बस हर दिन ऐसा कि जैसे संकेत हो वापसी का - कुछ ऐसे कि मानो पीछे बहुत कुछ बाकी है या फिर बहुत कुछ छूटा है.

Friday, February 26, 2010

परवरिश फूलों की!

फूलों को भी परवरिश की जरूरत होती है, जैसे कि बच्चों को. कुछ खिलते हैं और कुछ खिलखिलाते हैं.

एहसास हुआ किसी के यहाँ फूलों को देख कर.

Thursday, February 4, 2010

छठवें दलाई लामा की जन्मस्थली: तवांग

 (तवांग मोनेस्ट्री में शाक्यमुनि बुद्ध का चित्र) 

तवांग यात्रा के दौरान गाइड महोदय ने हमें छठवें दलाई लामा की जन्मस्थली के दर्शन भी कराये थे. तवांग से कुछ ही दूर. बहुत ही शान्तिदायक स्थान है. आँगन में एक पेड़ है जिसकी पत्तियों में कुछ दैविक गुण हैं. मान्यता है कि छोटे बच्चे को कॉमन कोल्ड वगेरह हो, तो इसके पत्ते को पास में रख दें. या इसको गरम पानी में डाल दें कुछ देर के लिये और फिर उस पानी को गुनगुना होने के बाद रुमाल से गले और पीठ पर लगायें जैसे कि विक्स लगाते हैं. स्वास्थ्य में तुरंत सुधार होता है.

दादावा, सा दिंगदिंग और डीप फोरेस्ट


अभी पिछले हफ्ते टाइम्स ऑफ़ इंडिया में खबर छपी चीन की गायिका सा दिंगदिंग के बारे में जो शंघाई में इस महीने 'वर्ल्ड एक्सपो २०१०' में परफोर्म कर रही हैं. दिंगदिंग के अलावा हमें दादावा भी काफी पसंद हैं. कितना अच्छा होता कि दोनों 'डीप फोरेस्ट' के साथ एक ही मंच पर हों और थीम हो - 'छठवें दलाई लामा के प्रेमगीत'. सा दिंगदिंग 'डीप फोरेस्ट' के साथ परफोर्म कर चुकीं हैं और दादावा ने छठवें दलाई लामा के प्रेमगीतों को सुरबद्ध किया हुआ है - 
दादावा (Voices from the sky 1997)
http://www.youtube.com/watch?v=QhhZZojL854
सा दिंगदिंग का संस्कृत मिक्स (Alive 2007) -
http://www.youtube.com/watch?v=HP1FoZpdNtM
डीप फोरेस्ट (Boheme 1995)
http://www.youtube.com/watch?v=OLhjpThXG2g

Saturday, January 23, 2010

भरतपुर, इरान या चीन

भरतपुर जाने की बात चली तो एक मित्र ने बताया कि पिछले साल जाड़ों में पक्षी अच्छी संख्या में आये थे - करीब ३३००० के आसपास. इस साल भी संख्या ठीक-ठाक ही लगती है. हालांकि साइबेरियन क्रेन्स अभी कुछ वर्षों से इधर आये ही नहीं. अगर इधर नहीं आ रहे तो जा कहाँ रहे हैं? मालूम हुआ कि उनके तीन flight paths थे - एक समूह भरतपुर आता था, एक इरान और एक बड़ा समूह चीन में पोयांग झील जाता था. अब जो यहाँ आता था वो इरान जा रहा है कि चीन, इसकी जानकारी तो अभी नहीं है हमें. हाँ इतना ज़रूर सुना है कि कुछ एक साल पहले पुणे के एक छात्र ने झेलम एक्सप्रेस से यात्रा करते वक़्त, एक जोड़े को छाता और पलवल के बीच कहीं देखा था. काफी खोजबीन कि गयी उस जोड़े कि, पर पता ना चला.

Thursday, January 21, 2010

सर्दियों की धूप और उस धूप में टहलना

सर्दियों की धूप और उस धूप में टहलना. ऐसे मौसम में खामा-खां टहलने का अपना ही आनंद है - आजकल तो इतनी ठण्ड ना रही और पतझड़ भी आ ही गया - तितलियाँ भी सभी जगह दिख ही जाती हैं और सड़क पर इधर उधर पत्तों का बिखरा हुआ जमाव भी मन को रमता है.
एक बार इसी मौसम में भरतपुर गए थे - bird -sanctury घूमने के लिये. उन दिनों साइबेरियन क्रेन्स काफी दिखते थे, सुना है इधर पिछले कई सालों में उनकी संख्या काफी हद तक कम हो गयी है. लेकिन उसके बावजूद इस जगह की नैसर्गिकता में कोई कमी नहीं आयी है, ऐसा मानना है हमारे कुछ मित्रों का जो हाल ही में वहां गये थे. देखते हैं हुआ तो मार्च में वहाँ जाना हो सके. तब तक घर के आस पास ही टहलते हैं - सर्दियों की धूप में.