Friday, April 2, 2010
यात्राएँ और संकेत वापसी के
जब चले तो सोचा था कि उस जहाँ में भी कुछ देखेंगे, कुछ समझेंगे लेकिन यहाँ तो बस हर दिन ऐसा कि जैसे संकेत हो वापसी का - कुछ ऐसे कि मानो पीछे बहुत कुछ बाकी है या फिर बहुत कुछ छूटा है.
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