Saturday, January 23, 2010
भरतपुर, इरान या चीन
भरतपुर जाने की बात चली तो एक मित्र ने बताया कि पिछले साल जाड़ों में पक्षी अच्छी संख्या में आये थे - करीब ३३००० के आसपास. इस साल भी संख्या ठीक-ठाक ही लगती है. हालांकि साइबेरियन क्रेन्स अभी कुछ वर्षों से इधर आये ही नहीं. अगर इधर नहीं आ रहे तो जा कहाँ रहे हैं? मालूम हुआ कि उनके तीन flight paths थे - एक समूह भरतपुर आता था, एक इरान और एक बड़ा समूह चीन में पोयांग झील जाता था. अब जो यहाँ आता था वो इरान जा रहा है कि चीन, इसकी जानकारी तो अभी नहीं है हमें. हाँ इतना ज़रूर सुना है कि कुछ एक साल पहले पुणे के एक छात्र ने झेलम एक्सप्रेस से यात्रा करते वक़्त, एक जोड़े को छाता और पलवल के बीच कहीं देखा था. काफी खोजबीन कि गयी उस जोड़े कि, पर पता ना चला.
Thursday, January 21, 2010
सर्दियों की धूप और उस धूप में टहलना
सर्दियों की धूप और उस धूप में टहलना. ऐसे मौसम में खामा-खां टहलने का अपना ही आनंद है - आजकल तो इतनी ठण्ड ना रही और पतझड़ भी आ ही गया - तितलियाँ भी सभी जगह दिख ही जाती हैं और सड़क पर इधर उधर पत्तों का बिखरा हुआ जमाव भी मन को रमता है.
एक बार इसी मौसम में भरतपुर गए थे - bird -sanctury घूमने के लिये. उन दिनों साइबेरियन क्रेन्स काफी दिखते थे, सुना है इधर पिछले कई सालों में उनकी संख्या काफी हद तक कम हो गयी है. लेकिन उसके बावजूद इस जगह की नैसर्गिकता में कोई कमी नहीं आयी है, ऐसा मानना है हमारे कुछ मित्रों का जो हाल ही में वहां गये थे. देखते हैं हुआ तो मार्च में वहाँ जाना हो सके. तब तक घर के आस पास ही टहलते हैं - सर्दियों की धूप में.
एक बार इसी मौसम में भरतपुर गए थे - bird -sanctury घूमने के लिये. उन दिनों साइबेरियन क्रेन्स काफी दिखते थे, सुना है इधर पिछले कई सालों में उनकी संख्या काफी हद तक कम हो गयी है. लेकिन उसके बावजूद इस जगह की नैसर्गिकता में कोई कमी नहीं आयी है, ऐसा मानना है हमारे कुछ मित्रों का जो हाल ही में वहां गये थे. देखते हैं हुआ तो मार्च में वहाँ जाना हो सके. तब तक घर के आस पास ही टहलते हैं - सर्दियों की धूप में.
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