Sunday, August 16, 2009

दो बात कहीं, दो बात सुनी,
कुछ हँसे और फिर कुछ रोये
छक कर सुख दुःख के घूँटों को,
हम एक भाव से पिये चले

- भगवतीचरण वर्मा

1 comment:

  1. आपको बधाई हो आपका ब्लॉग जगत में स्वागत हैं निरन्तरता बनाये रखें.

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