Wednesday, September 16, 2009

हमारी भतीजी को आखिरकार एक नाम मिल गया - चार्वी.  वैसे वो भी सोच रही होगी इतने दिन बाद एक नाम मिला - पापा के पास नाम है, मम्मी के पास नाम है, नाना नानी दादा दादी यहाँ तक की घर के आस पास जो चिडिया पक्षी वगेरह हैं सबके पास नाम है .... नाम उसे पसंद है कि नहीं इसके लिए हमें तब तक इंतज़ार करना पड़ेगा जब तक वो खुद भाषा विशारद ना बन जाए -- वैसे हर बच्चा अपने आप को भाषा विशारद ही समझता है .... और एक तरह से देखा जाए तो होता भी है -- यह बात दीगर है कि वो व्याकरण विद् ना हो या फिर अपने खुद के व्याकरण में ही विशारद हो :)

4 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई।

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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